प्रिय पत्रकार साथियों,
मुझे याद है एक समय था, जब मध्यप्रदेश की ख्याति देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में थी, प्रदेश का मान कलाकार, कलमकार, इतिहासकार बढ़ाते थे, प्रदेश में अमन-चैन की एक समृद्धशाली विरासत थी। मगर बीते 15 वर्षों की भाजपा सरकार ने इस विरासत को अराजकता में तब्दील कर दिया। प्रदेश अपराधियों का गढ़ बन गया। चारों ओर बेटियों की चित्कार सुनायी देने लगी। लूट, अपहरण, डकैती, हत्या जैसे रौंगटे खड़े कर देने वाले दृष्य हर ओर दिखायी देने लगे थे, प्रदेश के किशोरों को नशे की गर्त में धकेल दिया गया था।
कहते हैं न कि ऊपर वाले के यहां देर हैं अंधेर नहीं। अंततः कुशासन का अंत हुआ और कमलनाथ सरकार के सुशासन के नये युग की शुरूआत। यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने सत्ता की बागडोर सम्हालते ही सबसे पहले प्रदेश में फैली अराजकता की सुध ली और हमने एक के बाद एक नये अभियान प्रारंभ किये, जैसे गुंडे और आदतन अपराधियों के खिलाफ, अवैध सस्त्र रखने वालों के खिलाफ, मादक पदार्थों के खिलाफ, महिला अपराधों के खिलाफ, जिसके सकारात्मक परिणाम आने लगे हैं।
बीते एक वर्ष में हत्याओं में 3.5 प्रतिशत की कमी आयी, हत्या के प्रयासों में 3.93 प्रतिशत की कमी आयी, डकैती में 20.37 प्रतिशत की कमी आयी, महिलाओं से छेड़छाड़ के मामलों में 12.96 प्रतिशत की कमी आयी। बलात्कार के मामलों में भी कमी आयी है। लगभग 31 बलात्कार कम हुये हैं। कुल मिलाकर आईपीसी अपराधों में कमी आयी है।
ड्रग्स माफिया मुक्ति अभियान:-
बीते 15 वर्षों की भाजपा सरकार में मध्यप्रदेश के युवा को अवैध मादक पदार्थों के गर्त में धकेल दिया गया था, न सिर्फ नौजवानों को ड्रग्स का आदी बनाया गया था, अपितु नाबालिग बच्चों को ड्रग्स कैरियर के रूप में भी इस्तेमाल किया जा रहा था। यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के निर्देश पर न सिर्फ एक जनजागृति अभियान प्रारंभ किया गया, अपितु ड्रग माफियाओं के खिलाफ एक व्यापक युद्ध भी छेड़ दिया गया।
बीते एक वर्ष में विभिन्न स्कूलों, काॅलेजों, छात्रावासों और बस्तियों में जाकर नशे के दुष्प्रभावों के बारे में 5698 नशामुक्ति कार्यक्रम आयोजित किये गये। जबकि वर्ष 2018 में सिर्फ 430 कार्यक्रम आयोजित किये गये थे। बीते एक वर्ष में 507469 युवाओं तक पहुंचकर उन्हें नशे के खिलाफ प्रेरित किया गया।
हमें यह बताते हुए गर्व का अनुभव होता है कि पिछले एक वर्ष में हमनें अवैध ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ जितनी कार्यवाही की है, वह भाजपा सरकार के अंतिम तीन वर्षों को मिला दें तो भी अधिक है।
बीते एक वर्ष में स्मैक, अफीम, गांजा, गांजा पौधा, अफीम पौधा, चरस, डौंडा चूरा एवं कैमिकल ड्रग्स के कुल 3270 प्रकरण दर्ज किये गये और 4051 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
426 आरोपियों के पास से 11.71 किलोग्राम स्मैक पकड़ी गई, 134 आरोपियों के पास से 171 किलोग्राम अफीम पकड़ी गई, 2903 आरोपियों से 9310 किलोग्राम गांजा पकड़ा गया, 24 आरोपियों के पास से 6 किलोग्राम चरस पकड़ी गई, 339 आरोपियों के पास 34875 किलोग्राम डोंडा चूरा तथा 121 आरोपियों के पास 113448 नग कैमिकल ड्रग्स पकड़ा गया। इतने व्यापक पैमाने पर ड्रग माफिया के खिलाफ कार्यवाही प्रदेश के इतिहास में कभी नहीं की गई।
आधुनिक थाने-अधिक बल:-
मध्यप्रदेश में अपराधों पर नियंत्रण के लिए नवीन चैकी, थाने, पुराने थानों का उन्नयन के कुल 57 प्रस्तावों को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई, जिसमें 1031 पुलिस बल प्रदाय किया जायेगा। इतना ही नहीं महिला पुलिसकर्मियों एवं महिला फरियादियों हेतु प्रदेश के 676 थानों में पृथक से शौचालय एवं प्रसाधन कक्ष निर्माण की प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है, जिसमें से 225 महिला प्रसाधन कक्षों का निर्माणकार्य पूरा हो चुका है, 314 का निर्माण कार्य प्रगति पर है तथा 137 का कार्य प्रारंभ किया जाना है।
नई जेलों की बात-सुरक्षा-संसाधनों के साथ:-
मध्यप्रदेश के 10 जिलों में नई जेल बनना प्रस्तावित है, जैसे केंद्रीय जेल इंदौर, जिला जेल बैतूल, रतलाम, राजगढ़, मुरैना, मदसौर तथा सब जेल गाडरवारा, सब जेल कुक्षी, सब जेल मैहर और खुली जेल रीवा।
प्रदेश में कार्यरत 125 जेलांे में से 29 जेलों में महिला टाॅयलेट की व्यवस्था उपलब्ध है, शेष जेलों में टाॅयलेट की व्यवस्था हेतु शीघ्र प्रावधान किया जा रहा है। विगत एक वर्ष में मध्यप्रदेश की 37 जेलों में ई-प्रिजन कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है, जिसके तहत बंदियों का डेटावेस तैयार किया जा रहा है। बंदियों को मिलने वाली राशि प्रति बंदी प्रतिदिन 45 रू. से बढ़ाकर 48 रू. कर दी गई है।
मध्यप्रदेश की सभी जेलांे एवं न्यायालयों में वीडियों काफ्रेंसिंग उपकरण स्थापित किये जा चुके हैं, ताकि परिरूद्ध बंदियों की पेशी वीडियों काफ्रेंसिंग के माध्यम से करायी जा सके।
जेलांे की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए सीसीटीवी सिस्टम जो अब तक प्रदेश की सिर्फ 23 जेलों में ही लगाये गये थे, प्रदेश की सभी जेलों में लगाये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है।
जेलों की सुरक्षा-व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए सभी केंद्रीय जेल एवं 9 जिला जेलों पर इलेक्ट्रिक फेंसिंग की स्थापना प्रचलन में हैं।
प्रदेश की जेलों में 590 वाॅकी-टाॅकी सेट एवं 22 बेस-सेट उपलब्ध कराये गये हैं।
रोजगार की असीम संभावनाओं का कौशल विकास:-
विगत एक वर्ष में मध्यप्रदेश ने कौशल विकास के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका ली है। मध्यप्रदेश में 97 कैम्पस में प्लेसमेंट ड्राईव का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न कंपनियों द्वारा 2059 आईटीआई प्रशिक्षणार्थियों का प्राथमिक चयन किया गया है, साथ ही 198 आईटीआई प्रशिक्षणार्थियों द्वारा स्वयं के रोजगार की स्थापना के लिए विभिन्न विभागों से ऋण प्रकरण प्रस्तुत किये गये हैं। प्रदेश में लगने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत रोजगार प्रदेश के युवाओं को मिले, इसकी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
राष्ट्रीय शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत अप्रेन्टिसशिप पोर्टल पर कुल 4996 प्रतिष्ठानों का तथा 105755 शिक्षुओं का रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है। वर्तमान में नियोजित प्रशिक्षणार्थियों की संख्या 6675 है। पूरे राष्ट्र में मध्यप्रदेश चैथे नंबर पर आ गया है।
मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना के अंतर्गत 2लाख युवाओं का प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। प्रदेश के 16 जिलों में मेगास्किल सेंटर स्थापित किये जा रहे हैं। मेगास्किल सेंटर न्यूनतम 25 हजार वर्गफीट के होंगे, जिसमें केपिटल इंटेंसिव पाठ्यक्रम में प्रतिवर्ष प्रति केंद्र से 3 से 5 हजार प्रशिक्षणार्थियों को आवासीय प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा।
फरवरी 2019 में नगरीय क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को 100 दिवस के रोजगार के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण हेतु मुख्यमंत्री स्वाभिमान योजना लागू की गई है, जिसमें कौशल प्रशिक्षण की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश राज्य रोजगार निर्माण बोर्ड को दी गई है। इस योजना के अंतर्गत अब तक कुल 29802 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया है।