भोपाल सोमवार 16 दिसम्बर, 2019। Madhya Pradesh Congress President मध्य प्रदेश कांग्रेस को अब नए साल में ही नया अध्यक्ष मिल पाएगा। प्रदेश में सरकार बने एक साल हो रहा है, ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ को दोहरी जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए हाईकमान गंभीर है। नए अध्यक्ष को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से लेकर कमलनाथ सरकार के सदस्यों सहित कुछ हारे हुए पूर्व मंत्रियों के नाम की चर्चा है।
विधानसभा चुनाव के छह महीने पहले कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। पार्टी ने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा और 15 साल के वनवास के बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी। मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ संगठन की जवाबदारी से मुक्त होना चाहते थे, लेकिन विधानसभा में संतुलन बनाए रखने के लिए संगठन की कमान किसी और को सौंपकर नया शक्ति केंद्र बनाना खतरे से खाली नहीं था, लिहाजा आलाकमान ने कमलनाथ को ही सत्ता के साथ-साथ संगठन की जवाबदारी सौंपे रखी।
विधानसभा में कमलनाथ सरकार के आरामदायक स्थिति में आने के बाद अब हाईकमान पर संगठन का नया मुखिया बनाने के लिए सभी गुटों का दबाव है। दिल्ली में भारत बचाओ रैली के बाद प्रदेश के अधिकांश नेताओं ने हाईकमान के सामने जल्द से जल्द नए अध्यक्ष पर फैसले की बात भी रखी है।
सरकार-संगठन में सामंजस्य की जद्दोजहद
सूत्रों के मुताबिक, अधिकांश नेताओं की यह कोशिश है कि नया प्रदेश अध्यक्ष ऐसा हो जो सरकार के साथ सामंजस्य बैठाकर काम करे। इससे जहां संगठन का काम सुगमता से चल सकेगा, वहीं सत्ता को भी मुश्किलें कम आएंगी। हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता ऐसे भी हैं जो चाहते हैं कि सरकार के सही-गलत फैसलों पर सही राय रखने वाले व्यक्ति को नया प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहिए, जिससे संगठन को मजबूती मिले और सरकार भी सही दिशा में चल सके।
इन नामों की चर्चा
नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन नामों की चर्चा है, उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधायक कांतिलाल भूरिया व बिसाहूलाल सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व मंत्री रामनिवास रावत, गृह मंत्री बाला बच्चन व वन मंत्री उमंग सिंघार के नाम शामिल हैं। सिंधिया के लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा शुरू हो गई थी। चुनाव में हार के बाद भी उनके क्षेत्र व मालवा में सक्रियता के कारण प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनका नाम गाहे-बगाहे चर्चा में आता रहा है।
उनके समर्थक मंत्री, विधायक, पदाधिकारी भी लगातार उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की मांग उठाते रहे हैं। हालांकि उनके खेमे से पूर्व मंत्री रामनिवास रावत का नाम भी चर्चा में आया है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खेमे की तरफ से विधानसभा उपचुनाव जीतने वाले कांतिलाल भूरिया को एक बार और यह जिम्मेदार देने को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से दावेदारी की जा रही है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के विश्वस्त बाला बच्चन भी इस दौड़ में लगातार बने हुए हैं और उनके नाम की चर्चा मुख्यमंत्री समर्थक करते रहे हैं। इधर, विधानसभा व लोकसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के लिए एक साल में अप्रत्यक्ष तौर पर कई बार शक्ति प्रदर्शन हो चुके हैं।