नागरिकता कानून / पूर्वोत्तर, बंगाल के बाद दिल्ली में भी विरोध उग्र; पुलिस से भिड़े प्रदर्शनकारी, बस में आग लगाई

गुवाहाटी रविवार 15 दिसम्बर 2019   |. नागरिकता संशोधन कानून 2019 को लेकर पूर्वोत्तर, बंगाल के बाद दिल्ली में प्रदर्शन हिंसक हो गया है। इस कानून के विरोध में रविवार सुबह से ही जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के छात्र और स्थानीय लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं। इसी दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में कारों और बसों में तोड़फोड़ मचा दी। भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस को आंसूगैस छोड़ने के साथ ही लाठीचार्ज करने पड़ा। जानकारी के मुताबिक भीड़ ने 3 बसों में आग लगा दी है। पुलिस प्रदर्शनकारियों को विश्वविद्यालय तक धकेलने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी के सामने मथुरा रोड बंद कर दिया है। इस कारण ओखला अंडरपास से सरिता विहार तक ट्रैफिक बंद है।


इस बीच शनिवार को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। ओवैसी ने नागरिकता कानून को संविधान का उल्लंघन करार दिया है।


नागरिकता संशोधन बिल 9 दिसंबर को लोकसभा और 11 दिसंबर को राज्यसभा से पास हो गया था। 12 दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के दस्तखत के बाद यह कानून बन गया। कानून को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में लगातार प्रदर्शन-हिंसा हो रहा है।


'कानून पर सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर पास करे'
ओवैसी ने याचिका में कहा, ''सुप्रीम कोर्ट को एक आदेश पारित कर नागरिकता बिल के सेक्शन 2, 3, 5 और 6 को असंवैधानिक घोषित करना चाहिए। ये सेक्शंस अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन करते हैं।'' ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी मांग की कि गृह मंत्रालय के 7 सितंबर 2015 के नोटिफिकेशन जीएसआर 685 (ई) और 18 जुलाई 2016 के नोटिफिकेशन जीएसआर 702 (ई) को असंवैधानिक घोषित किया जाए। 


वहीं, असम में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया, सांसद अब्दुल खालिक और रूपज्योति कुर्मी ने कानून को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की तरफ से याचिका दायर करेंगे।


असम का प्रतिनिधिमंडल मोदी-शाह से मिलेगा
असम के मंत्री चंद्रमोहन पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेगा। इसमें नागरिकता कानून को लेकर राज्य में पैदा हुए हालात पर चर्चा होगी।


इस बीच असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने शनिवार को कहा कि हिंसा भड़काने के लिए 85 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। महंत ने यह भी कहा कि राज्य में स्थिति नियंत्रण में है। हिंसा भड़काने वाले लोगों पर सख्ती बरती जाएगी। लोग अफवाह फैलाने वालों सूचना अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में दें।


पश्चिम बंगाल में भी प्रदर्शन
नागरिकता कानून के विरोध में शनिवार को बंगाल में कई शहरों में हिंसा और आगजनी हुई। कोलकाता के पास हावड़ा में प्रदर्शनकारियों ने हाईवे जाम कर 16 बसों में आग लगा दी। कई अन्य वाहनों और दफ्तरों में तोड़फोड़ की। भीड़ ने संकराइल स्टेशन कॉम्पलेक्स पर धावा बोला, यहां आगजनी और तोड़फोड़ की। इस दौरान आरपीएफ के जवानों से मारपीट भी की गई। प्रदर्शनकारियों ने 5 ट्रेनों में भी आग लगा दी। पूर्वी रेलवे ने सियालदह-हसनाबाद के बीच ट्रेन सेवा रद्द कर दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से कहा है कि लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करें और कानून हाथ में न लें।


उधर, भाजपा ने इस स्थिति के लिए तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहराया और राष्ट्रपति शासन की मांग की। पार्टी का कहना है कि बंगाल में हिंसक प्रदर्शन के पीछे बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं और ममता सरकार का उन्हें पूरा समर्थन है।


छात्र संगठन और तृणमूल कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए
भाजपा दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, गुवाहाटी और लखनऊ में 14-18 दिसंबर के बीच नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जागरूकता अभियान चलाएगी। उधर, आंदोलन की अगुवाई कर रहे छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ने कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। संगठन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा सरकार ने असम के लोगों के साथ धोखा किया। तृणमूल सांसद महुआ मित्रा ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता कानून को चुनौती दी है।


 


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