नवकरणीय ऊर्जा से रोशन होगा प्रदेश

प्रगति के प्रति प्रतिबद्ध, आधुनिक प्रदेश के प्ररेणा, मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने अपने एक वर्षीय कार्यकाल में विकास के आधुनिक आयामों को जिस प्रकार रेखांकित किया है, उससे एक बात स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है कि आने वाले दशक में मध्यप्रदेश देश के विकसित राज्यों की श्रेणी में अग्रणी पक्ति में खड़ा होगा।
मध्यप्रदेश उन सौभाग्यशाली प्रदेशों में है, जिसका कुल वन क्षेत्र 94.689 वर्ग किलोमीटर है, जो कि राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 30.72 प्रतिशत है अर्थात मध्यप्रदेश के पास एक समृद्ध पर्यावरणीय विरासत है।
मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी की मान्यता है कि सर्वाधिक नवकरणीय ऊर्जा के प्रयोग से हम प्रदेश की इस विरासत को और समृद्धशाली बना सकते हैं। चूंकि समूचे भारत ने यह संकल्प लिया है कि वर्ष 2030 तक बिजली उत्पादन की हमारी 40 फीसदी स्थापित क्षमता ऊर्जा के स्वच्छ स्त्रोतों पर आधारित होगी, इसलिए हमारे प्रदेश को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभाना होगी।
मध्यप्रदेश निरंतर प्रयासरत रहेगा कि वह ऊर्जा उपभोग के लिए अपनी परंपरागत जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को कम करता जाये और उसे नवकरणीय ऊर्जा में तब्दील करता जाये। बीते एक वर्ष में प्रदेश में ग्रिड कनेक्टेड परियोजनाआंे में 670 मेगावाट क्षमता की बृद्धि हुई है। जिसमें 645 मेगावाट की सौर परियोजनाएं एवं 25 मेगावाट क्षमता की बायोमास परियोजनाएं स्थापित की गई। अगले चार वर्षों में लगभग 6 हजार मेगावाट क्षमता की नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजना और स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
सोलर पार्क योजना:-
Ø हमने आगर, शाजापुर, नीमच जिलों में 1500 मेगावाॅट के सोलर परियोजनाएं लगाने का निर्णय लिया है। भूमि का आवंटन भी विभाग को हो चुका है, जिसमें तुरंत कार्य प्रारंभ किया जावेगा। परियोजना की लागत लगभग 6 हजार करोड़ अनुमानित है। जिसकी राशि विकासक (डेव्हलपर) द्वारा लगाकर प्रदेश को प्रति यूनिट की दर पर 25 वर्षों के लिए विद्युत उपलब्ध करावेंगे।
Ø इसी प्रकार बुंदेलखण्ड और चंबल अंचल में भी नये सौर पार्क स्थापित करने की प्रकिया प्रारंभ कर दी है। सागर जिले के देवरी, बण्डा, केसली, जैसीनगर और मुरैना जिले के मुरैना, जौरा और कैलारस में ये सोर परियोजनाएं प्रारंभ होगी। इनकी कुल क्षमता लगभग 2000 मेगावाट होगी।
रीवा परियोजना-


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