संदीप शर्मा भोपाल
भोपाल, मध्यप्रदेश में एक और जहां भू माफियाओं पर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यवाही पर अमादा है वही दूसरी ओर धार जिले के भाजपा नेता है जो शासन को छलने में लगे है । धार जिले के ग्राम पंचायत सेजवाया के ये भाजपा नेता जी जिन्होंने अपने यहां काम करने वाले मजदूर की पत्नी को सरपंच बनवाया और अपने नेतागिरी के दमखम पर सरपंच पति तोलराम की कृषि भूमि पर प्रधानमंत्री आवास की बाढ़ सी ला दी है। और अब प्रधानमंत्री आवास बनने के बाद उसे एक बिना अनुमति अगर कहे तो अवैध कॉलोनी का मूर्त रूप देने में लगे हैं। जिसको लेकर अब मामला शिकायतों में चला है और धार जिले के कलेक्टर की टेबल तक जा पहुंचा है। परंतु कहते हैं ना नेताजी का कौन बाल बांका करें यहां ऐसा ही कुछ हो रहा है। और अब तो जिन लोगों की भूमि मुख्य सड़क से लगी हुई है ओर एक दो एकड़ भूमि का टुकड़ा है तो वह लोग भी आसानी से प्रशासनिक अधिकारियों से सांठगांठ कर बिना कोई डायवर्सन अनुमति के बिना कोई सुविधा दिए ही कॉलोनी काट सकते है। क्योंकि धार का जिला प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। राजस्व विभाग को डायवर्सन ओर भू - भाटक प्रिमियम के तहत लगने वाली राशि जमा नहीं होने और धड़ल्ले से प्लॉटों पर मकान बनाए जाने के कारण लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है। और यहां प्रधानमंत्री आवास की आड़ लेकर खेत को ही नेताजी कॉलोनी बनाने पर अमादा है। नेता जी तो खेतों के दाम में एकड़ से बिकने वाले खेतो को हजारों रुपए वर्ग फीट के हिसाब से प्लाट बनाकर बेचने में लगे हुए है। ओर आगामी समय में मूलभूत सुविधाओं के झांसे दे कर प्लाट बेच रहे है।
पहले बेचा प्लाट फिर दिया आवास
सेजवाया ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले कृषि भूमि हल्का नंबर 107 पर तोलराम की कृषि भूमि पर कब लोगों ने रहना शुरू कर दिया और कैसे उन्हें प्रधानमंत्री आवास का हितग्राही बना दिया गया यह एक बड़ा सवाल बन गया है। आपको बता दें यह भूमि किसी और की नहीं बल्कि सेजवाया के सरपंच पति तोलराम की है जो आज भी कृषि भूमि के रूप में कागजों पर चल रही है। परंतु यहां रहने वाले भाजपा के नेता दिलीप सिंह परिहार द्वारा इस कृषि भूमि पर प्लाट बेचने और आवास का लाभ दिलाने का मामला प्रकाश में आया है। जिसको लेकर प्रदेश सत्ता टीम ने उक्त स्थान पर जाकर पड़ताल शुरू की जिसमें प्रधानमंत्री आवास में रह रहे हितग्राही के परिजनों ने यह बताया की उन्हें यहां प्लाट दिलीप सिंह परिहार ने बेचा है । जिसके एवज में डेढ़ लाख रुपए लिए हैं। और उसके बाद प्रधानमंत्री आवास भी स्वीकृत करा कर दिया है। जब वहां रह रहे लोगों से पूछा कि आप लोग कितने समय से यहां रह रहे हैं तो जवाब मिला अभी दो-तीन साल ही हुए हैं ऐसे में एक बात तो स्पष्ट नजर आती है यहां खेत को नियम के विरुद्ध जाकर खंड खंड कर प्लाट के रूप में बेचा जा रहा है । और आड ली जा रही है प्रधानमंत्री आवास की जिसके पीछे अब इस कृषि भूमि को कॉलोनी के रूप में सवारने की तैयारी जोरों शोरों पर है और प्रशासन मुंह में दही जमाए बैठा है।
तोलराम ही बेच रहा है प्लाट- परिहार
मामले को लेकर जब प्रदेश सत्ता रिपोर्टर द्वारा दिलीप सिंह परिहार से दूरभाष पर चर्चा की गई और पूछा गया की हल्का नंबर 107 पर जो भवनों का निर्माण चल रहा है क्या वह प्लाट आपके द्वारा बेचे गए हैं। तो दिलीप सिंह परिहार द्वारा उसे सिरे से नकार दिया गया उन्होंने कहा वहा प्लाट तोलराम ही बेच रहे हैं। जब उनसे यह पूछा गया कि उस जगह रहने वाले लोगों का यह कहना है कि हमें प्लाट दिलीप सिंह परिहार ने बेचे है। तो वह कहने लगे ऐसा नहीं है मेरे द्वारा प्लाट नहीं बेचे गए और वैसे भी वह जमीन बंजर है खेती योग्य नहीं है। मुझे इस मामले में कांग्रेस के लोग फंसाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि मैं भाजपा से जुड़ा हूं और दो बार से जिला उपाध्यक्ष हूं साथ में यह भी कहा की धार के कुछ नामी पत्रकार उनके मित्र हैं।