भोपाल । परिवहन विभाग में दलाली और रिश्वतखोरी का खुल्लम खुल्ला लेन देन किया जा रहा है जिसकी जानकारी आरटीओ अधिकारी एवं प्रशासन को भी मिलती रहती है लेकिन इन रिश्वतखोर कर्मचारी पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है जिससे इनके हौसले बुलंद हैं और यह बिना रिश्वत लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं एआरटीओ के पद पर लंबे समय से पदस्थ भारती वर्मा या तो वह भोपाल आरटीओ में रहती हैं या फिर विदिशा आरटीओ में पदस्थ कर दिया जाता है पिछले कई सालों से ऐसा ही देखने में आ रहा है परिवहन विभाग में ही पदस्थ इनके पति भोपाल पदस्थ होते हैं तो यह मैडम विदिशा आरटीओ प्रभारी बना दी जाती है इनका कहना सीधा सा है कि मैं बिना पैसे लिए कोई भी लाइसेंस पास या परमानेंट नहीं करूंगी क्योंकि मुझे भी ऊपर पैसा देना पड़ता है लाइसेंस पर साइन कराने के लिए इनको 200 ₹300 की रिश्वत देनी पड़ती है इनका निजी कर्मचारी मजीद अधिकतर भोपाल आरटीओ में इनके पेपरों 4 नंबर फार्म की गड्डी लिए घूमता देखा जा सकता है वही हम बात करें तो भोपाल आईटीओ के दबंग बाबु पर अंकुश लगाने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं ऐसा ही एक मामला सुर्ख़ियों में सामने आया है जिसमें वर्षों से एक ही सीट पर जमे श्याम बाबू द्वारा रिश्वत के लेन-देन को धड़ल्ले से अंजाम दिया जा रहा है और श्याम बाबू के हौसले रिश्वतखोरी में इतने बुलंद है की उन्होंने अपने भाई पप्पू यादव एवं एक प्राइवेट व्यक्ति विनोद यादव को भी रिश्वत की राशि एकत्रित करने के लिए लगा रखा है और इनके द्वारा खुलकर रिश्वत लेने का कार्य परिवहन विभाग् भोपाल कार्यालय में चल रहा है श्याम यादव ने हर कार्य की राशि निर्धारित कर रखी है वह राशि जब तक इनकी जेब में दलालों द्वारा नहीं डाली जाती तब तक यह किसी भी तरह का कार्य नहीं करते हैं परिवहन विभाग में श्याम बाबू का एक छात्र राज चल रहा है क्योंकि वह कर्मचारी यूनियन के जिला अध्यक्ष बताए जाते हैं सूत्रों की माने तो श्याम यादव की अगर सही तरीकें से जांच कराई जाए तो पूर्व के प्रकरणों में आय से अधिक संपत्ति के मामलों में पकड़े गए परिवहन विभाग के बाबू चपरासी के पास से आय से अधिक संपत्ति उजागर हुई है उससे अधिक राशि इस बाबू श्याम यादव के पास से बरामद हो सकती है। यह कहावत सटीक बेटी है कि काजल की कोठरी में पूरी तरह से काले नहीं होंगे तो टीका तो लग ही जाएगा ऐसा ही मामला आज कल भोपाल आईटीओ के लर्निंग लाइसेंस शाखा में देखने में आ रहा है कि मधु बाबू नंबर लगाने पर लाइसेंस पर सो ₹200 की रिश्वत की मांग करते देखे जा सकते हैं।
परिवहन विभाग मे भ्रष्टाचार का बोलबाला अधिकारी कर्मचारी नहीं करते हैं बिना पैसा लिए कोई काम